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Shayan Bhog Ke pad

Shayan Bhog Ke pad

* शयन भोग के पद * भोजन बिहारीलाल कौ सो तौ मैं जानी। दरसन प्यारी रूप कौ पुतरिन रुचिमानी॥ प्यारे की मृदु मुसकनि मीठी लगैं भौंहनि कटुताई। षट्‍रस वारों कोटि लौं दृग चंचलताई॥ प्यारे कों चाह छिन-छिन चौगुनी जैंमत रुचि ज्यौंही। अलि भगवान जुगल्र रस वरन्यों जात न त्यौंहि॥1॥   भोजन करत दुहूँ दिशि देखों। ....

Swami Haridas ji ka swaroop varnan

श्रीस्वामी हरिदासजी का स्वरूप वर्णन   सुन्दर रज तिलक भाल, बाँकी भृकुटी बिसाल, रतनारे नैंन नेह भरे दरस पाऊँ। वारौं छवि चंद वदन, सोभा सुख सिंधु सदन, नासावर कीर कोटि काम को लजाऊँ॥ अधर अरुन दसन पाँति, कुंदकलिका बिसाँति, कमल कोस आनन दृग मधुप लै बसाऊँ॥ मधुर वचन मंद हास, होत चाँदनी प्रकास, जै जै ....

Ashtadash Siddhant ke Pad

अनन्य रसिक शिरोमणि स्वामी श्रीहरिदासजी कृत अष्टादश सिद्धान्त के पद ज्यौंही-ज्यौंही तुम राखत हौ, त्यौंही-त्यौंही रहियत हौं, हो हरि। और तौ अचरचे पाँय धरौं सो तौ कहौ, कौन के पैंड़ भरि? जद्यपि कियौ चाहौ, अपनौ मनभायौ, सो तौ क्यों करि सकौं, जो तुम राखौ पकरि। कहिं श्रीहरिदास पिंजरा के जानवर ज्यौं, तरफ़राय रह्यौ उड़िबे कौं ....

Kunj Bihari Ashtak

य: स्तूयते श्रुतिगणैर्निपुणैरजस्रं, सम्पूज्यते क्रतुगतै: प्रणतै: क्रियाभि:। तं सर्वकर्मफ़लदं निजसेवकानां, श्रीमद्‍ विहारिचरणं शरणं प्रपद्ये॥१॥ यं मानसे सुमतयो यतयो निधाय, सद्यो जहु: सहृदया हृदयान्धकारम्। तं चन्द्रमण्डल-नखावलि-दीप्यमानं, श्री मद्‍ विहारिचरणं शरणं प्रपद्ये॥२॥ येन क्षणेन समकारि विपद्वियोगो, ध्यानास्पदं सुगमितेन नुतेन विज्ञै:। तं तापवारण-निवारण-सांकुशांकं ,श्री मद्‍ विहारिचरणं शरणं प्रपद्ये॥३॥ यस्मै विधाय विधिना विधिनारदाद्या:, पूजां विवेकवरदां वरदास्यभावा:। तं दाक्षलक्षण-विलक्षण-लक्षणाढ्यं, श्री ....

Raj Bhog ke Pad

राजभोग के पद भोजन बिहारीलाल कौ सो तौ मैं जानी। दरसन प्यारी रूप कौ पुतरिन रुचिमानी॥ प्यारे की मृदु मुसकनि मीठी लगैं भौंहनि कटुताई। षट्‍रस वारों कोटि लौं दृग चंचलताई॥ प्यारे कों चाह छिन-छिन चौगुनी जैंमत रुचि ज्यौंही। अलि भगवान जुगल्र रस वरन्यों जात न त्यौंहि॥१॥   भोजन करत दुहूँ दिशि देखों। कहत न बनत ....