Hariyali Teej

Hariyali-Teejहिन्दू संस्कृति में नित्य प्रति त्यौहार मनाये जाते हैं। समय समय पर मनाये जाने वाले हर त्यौहार का अपना एक अलग उल्लास व उत्साह होता है। ब्रज मण्डल में श्रावण मास का अनोखा महत्व है। श्रावण मास का प्रत्येक दिन किसी उत्सव से कम नहीं होता, किन्तु हरियाली तीज का विशेष महत्व है। श्रावण मास की हरियाली अमवस्या के दिन फ़ूल बंगलों की श्रंखला का समापन होने के तीसरे दिन श्रावण शुक्ला तृतीया को हरियाली तीज (झूलनोत्सव) पर जगताधिपति श्री बाँकेबिहारी जी महाराज स्वर्ण रजत हिंडोले में झूलते हुए भक्त जनों को अद्भुत आनन्द की प्राप्ति कराते हैं।

श्रावण का महीना हरियाली से परिपूर्ण होता है। इस महीने में प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। एक ओर यह उत्सव आम जनमानस का बिहार तत्व से ओत प्रोत महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पर्व है, वहीं दूसरी ओर ब्रज के मन्दिरों में झूलनोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला धार्मिक महोत्सव। श्रीबाँकेबिहारीजी महाराज के मन्दिर में यह उत्सव वर्ष में केवल एक बार मनाया जाता है। हरियाली तीज की संध्या को बिहारीजी भव्य स्वर्ण रजत हिंडोले में विराजमान होते हैं। इस दिन बाँकेबिहारीजी को हरी पोशाक व मनमोहक श्रंगार धारण कराया जाता है। जिसमें बिहारी जी का सौंदर्य मन को मोहने लगता है और अपनी ओर आकर्षित करता है। रसिक कथनानुसार सावन मास के सुन्दर वातावरण में प्रियाजी ठाकुरजी से कहती हैं:-

आई सुहाई नई वर्षा ऋतु, रीझ हमहुँ पै यह अब दीजिए।

जैसे ही रंग लसै चुनरी मम, ऐसे ही रंगतुहु रंग लीजिए॥

झूला पै झुलहि एकहि संग में, मोहन ऐतों कहौ पुनि कीजिए।

जैसे लसै घनश्याम में दामिनी, तैसे तुम्हारे हिये महंजीजिए॥

श्रीबाँकेबिहारीजी महाराज के इस स्वर्ण रजत जड़ित हिंडोले का निर्माण बनारस के कारीगरों द्वारा किया गया। इसमें प्रयुक्त स्वर्ण एवं रजत मन्दिर प्रशासन, गोस्वामी समाज एवं भक्त परिकर ने एकत्र किया था। इस हिंडोले की कलात्मक बहुत ही बारीक एवं भक्तों को मोहित करने वाली है। सभी भक्त इस हिंडोले में विराजमान श्रीबिहारी जी के दर्शन पाकर अपने को धन्य महसूस करते हैं।

जय बिहारी जी की